'जलांचल' शब्द-युग्म है।
जलांचल =जल +आंचल = जल क्षेत्र का किनारा, पट्टी, तलहटी
जल= छोटे-बड़े जल क्षेत्र छोटे तालाब से लेकर समंदर तक ।
आंचल= जल क्षेत्र का किनारा (जल क्षेत्र के किनारे पर बसने वाले लोग)
प्रगति पथ= जल क्षेत्रीय इलाकों के किनारे बसने वाले लोगों के विकास के लिए बनाया गया रास्ता
अर्थात= जलांचल प्रगति पथ ।
समुंदर, झील, 'नदी' तालाब,की धारा ही जीवन धारा,जीवन प्रदायिनी रही है यहीं से समाज और सभ्यता की उत्पत्ति हुई है
मानव सभ्यता यहीं विकसित हुई है। शास्त्रों में इसका प्रमाण मिलता है।
यदि समुंदर, झील, 'नदी' तालाब, को मानवीकृत कर देखें तो इसके दोनों तटबन्ध आंचल सदृश हैं। इसी पर अपना समाज आज भी अधिक विद्यमान है।बड़े-बड़े शहर नगरीय सभ्यता भारत में ही नहीं अपितु विश्व के देशों में जैसे कि-- 'लन्दन- टैम्स' को देखा जा सकता है। जल- जमीन-जंगल में विकसित 'निषाद-सभ्यता' के रूप दृष्टिगत् होता है,इसका प्रमाण मौजूद है।
इतिहास में हजारों सालों पूर्व से ही हम सभी जलवंशी प्रकृति एवं विधि के विरुद्ध काम करने वाले लोगों के विरुद्ध हमेशा लड़ते आए हैं यातायात व्यवस्था के एक छत्र संचालक के रूप में प्रख्यात जल-नौकायन में हम सब ने अपने जाँबाज शहीदों को भारत में इन अंग्रेजों को डिगने नहीं दिया था,इनके छक्के-छुड़ाए थे,इसी खौफ से छुब्ध होकर अंग्रेज़ी हुकूमत ने हमारे समाज को सुनियोजित ढंग से क्रिमिनल ट्राइब घोषित कर दिया, तभी से सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक भागीदारी से मरहूम हुए और आज भी हैं,हमारे जलांचलवासी बाढ़ आपदा में जीवनरक्षा संसाधन मुहैया कराने में शासन-सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दुर्गम परिस्थियों में रात-दिन एक करके लगे रहते हैं। जब जल परिवहन था तब हम साधन-सम्पन्न,उद्यमशील थे ,आज क्यों नहीं हैं ? हमारी रगों में आज भी वही खून दौड़ता है , हम आज भी वैसा ही बन सकते हैं कैसे ? समझना होगा विचार करना होगा । हम आज मारे-मारे क्यों फिर रहे हैं। देखें तो, एक तरफ अंग्रेजों का चाटुकार रहा समाज आज भी मलाईदार परत से पोषित और पालित है,जबकि शुरू से संघर्षशील हैं,अपने वजूद को कायम नहीं कर सका परिणामत: आजतक शिक्षा-स्वास्थ्य-अर्थतन्त्र-समाजिकस्तर-राजनीति में यह समाज शून्य प्रतिनिधित्व करता है।
कारण निकल कर आया कि, युवाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य रोजगार नौकरी नशा मुक्ति नारी सशक्तिकरण प्राकृतिक योजन परिवार नियोजन पर विशेष रूप से कार्य न करना ,शिक्षा को कैरियर के रूप में न अपनाया जाना,त्वरित धनोपार्जन हेतु युवाओं को मध्य शिक्षा-सत्र के उठाकर काम पर लगा देना, पूर्ण मानसिक और शारीरिक विकास के अभाव में बच्चों का नशा की तरफ उन्मुख हो जाना संसाधन के भाव में अधिक बच्चा पैदा करना और उन्हें कुपोषित कर देना महिलाओं के प्रति उपेक्षा पूर्ण व्यवहार और उनके यथाशक्ति का पारिवारिक विकास में उपयोग न करना प्राकृतिक संसाधनों का प्रकृति के विरुद्ध उपेक्षा पूर्ण उपयोग करना मूल कारण निकल कर आया है।
'जलांचल प्रगति-पथ' एक विनम्र विधि सम्मत सामाजिक और व्यवहारिक त्याग और समर्पण से पूर्ण प्रफुल्लित भाव में एक आह्वान है, सामाजिक सुधार आन्दोलन है जलांचल-क्षेत्र में आच्छादित समाज जो कहीं पर रहे ,इसे शिक्षा से जोड़े रखना और बालकों-युवाओं का समग्र व सर्वांगीण विकास करना,समाज में योग्य-सुयोग्य आत्मविश्वासी, आत्म निर्भर नागरिक के रूप में तैयार करना, अज्ञानता के अभाव में नशे की तरफ भटक रही युवा पीढ़ी को रोकना उन्हें शिक्षा रोजगार नौकरी तरफ मोड़ना, युवाओं को एक स्वस्थ व्यक्ति बनाते हुए समाज में पूर्ण रूप से प्रतिभागी करने हेतु तैयार करना, महिलाओं को पूर्णतया मान सम्मान देते हुए उनकी शिक्षा स्वास्थ्य पर ध्यान रखते हुए उन्हें रोजगार और नौकरी के लिए विशेष अवसर प्रदान करना, अपने शक्ति सामर्थ और संसाधन के हिसाब से ही परिवार को बढ़ाना और उन्हें उचित लालन-पालन पोषण देना परिवार नियोजन, प्रकृति का संरक्षक बनते हुए संसाधनों का प्राकृतिक विधि अनुरूप उपयोग करते हुए उन्हें संरक्षित करना जलांचल का एक मात्र उद्देश्य है।
"'अनुशासन' ही किसी देश-समाज को महान बनाता है।"